
नमस्कार दोस्तों! क्या आप जानते हैं कि प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी जनजातियों की भूमि के लिए मशहूर गुमला जिला किसी समय में माओवादियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब यह तरक्की और विकास की नई कहानी लिख रहा है? यह जिला अल्बर्ट एक्का की जन्मभूमि के लिए भी काफी मशहूर है। तो आइए, आज की इस Blog में हम गुमला जिले के इतिहास से लेकर वर्तमान से जुड़ी जानकारी आपको बताते हैं। तो Blog को अंत तक जरूर देखें।
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एक ऐतिहासिक यात्रा
दोस्तों, कहा जाता है कि गुमला पहले झारखंड का बहुत ही मशहूर गांव हुआ करता था। यहां नागवंशी राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया था, जिसके बाद भारत में ब्रिटिश राज शुरू हुआ। तभी गुमला को लोहरदगा जिले का हिस्सा बना दिया गया और 1843 में इसे बिशनपुर प्रांत के अंतर्गत लाया गया, जिसे कुछ साल बाद रांची जिले के क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। 1902 में गुमला रांची जिले का एक अनुमंडल बना और 18 मई 1983 को गुमला जिला पूर्ण रूप से अस्तित्व में आया।
तब यहां 12 ब्लॉक, 159 ग्राम पंचायत, तीन अनुमंडल, तीन विधानसभा क्षेत्र और 952 गांव को शामिल किया गया। साथ ही इसके पड़ोसी जिले रांची, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, खूंटी और छत्तीसगढ़ के जिले बने। मौजूदा समय में गुमला शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और यह झारखंड के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है, जो दक्षिणी छोटा नागपुर डिवीजन का हिस्सा है और यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी जनजातियों की रंगबिरंगी संस्कृति के लिए काफी मशहूर है।
प्रसिद्ध व्यक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य
वैसे गुमला को मुख्य रूप से अल्बर्ट एक्का की जन्मभूमि के लिए भी जाना जाता है। अल्बर्ट एक्का, जिनका जन्म 27 दिसंबर 1942 को जरी चैनपुर में हुआ था, यह भारत-पाक युद्ध के एक शहीद जवान हैं जो गुमला जिले की शान माने जाते हैं। वहीं गुमला को भगवान हनुमान के जन्मस्थली के रूप में भी देखा जाता है। यहां के घाघरा रोड पर अंजन धाम में भगवान हनुमान और उनकी मां को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है।
यहां प्राकृतिक सुंदरता से भरा सदरी फॉल भी बेहद फेमस है। लगभग 60 से 70 फीट की ऊंचाई से गिरती यह वाटरफॉल झारखंड का एकमात्र जलप्रपात है, जो सांप के आकार से गिरती है। इसके साथ ही यहां प्रेमा घाघ, नागफनी बाग, मुंडा और तारा लोया जलप्रपात भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर बेहद आकर्षित करते हैं।
बाजार और नामकरण
वैसे झारखंड में गुमला बाजार भी काफी फेमस है। गुमला बाजार सप्ताह में दो दिन लगने वाला सदियों पुराना बाजार है। यहां दैनिक उपयोग के वस्तु आसानी से मिल जाते हैं, साथ ही कभी-कभी यहां मवेशी भी बेची जाती है। कहा जाता है कि पहले इसी बाजार के कारण गौ मेला के नाम से प्रचलित था, जो आगे चलकर बोलचाल के कारण गुमला में परिवर्तित हो गया और आज यही गुमला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और असंख्य मंदिरों के लिए जाना जाता है। अगर आपको झारखंड में ज्यादातर गाड़ियों के नंबर प्लेट पर JH 07 लिखा दिख जाए तो समझ जाइएगा कि आप गुमला जिले की सवारी हैं।
जनसांख्यिकी, भाषा और कृषि
गुमला जिला आदिवासियों का गढ़ है। यहां उरांव, लोहरा, खड़िया, खैरवार, मुंडा और आदिम जनजाति के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। यहां के आदिवासी और गैर आदिवासियों द्वारा रंगबिरंगी त्यौहार भी मनाए जाते हैं। यहां शिवरात्रि, होली, नवरात्रि, खजूर पर्व, करमा, सरहुल, मुहर्रम और क्रिसमस जैसे कई महत्वपूर्ण त्यौहार बहुत ही मशहूर हैं। साथ ही यहां का खानपान भी काफी लजीज है।
गुमला झारखंड का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला जिला है। यह क्षेत्रफल के लिहाज से झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा जिला भी है, जिसका कुल क्षेत्रफल 5360 वर्ग किलोमीटर है। यहां मौजूदा समय में 14 लाख से भी अधिक लोग अपनी जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें लगभग 70% आबादी पढ़ी लिखी है, साथ ही लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 993 महिलाओं की है, जो काफी अच्छी है। यहां की प्रमुख स्थानीय भाषा सादरी है, लेकिन बड़ी संख्या में यहां कुरुख, हिंदी, मुंडारी, खड़िया और नागपुरी भी बोली जाती है और इन्हीं भाषाओं द्वारा गुमला जिले को गोमिला नाम से भी बुलाया जाता है।
वही यहां उत्तरी कोयल नदी, दक्षिणी कोयल नदी और शंख नदी गुमला जिले की धरती को स्पर्श करती हैं, जिनके बदौलत यहां के किसान धान, मक्का, दाल, मडुआ, सब्जी और आम की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। वैसे यहां वन उत्पादन भी है, जिनके बदौलत यहां के ज्यादातर आदिवासियों का आजीविका निर्भर है।
पर्यटन स्थल
गुमला जिला घूमने फिरने के मामले में भी काफी अच्छा जगह है। आपको बता दें कि यहां की खूबसूरती को देखकर हर सैलानियों का दिल खुश हो जाता है। झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे गुमला को प्रकृति ने बड़े नाजो अंदाज से संवारा है। यहां ऐतिहासिक, धार्मिक व प्राकृतिक स्थलों की भरमार है, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है।
यहां आप टांगीनाथ धाम, महा सदाशिव मंदिर, कामदारा, आम टोली, भानपुर, वासुदेव कोना, जगन्नाथ मंदिर, नगर किला, देवकी मंदिर, हाप मुनि महाया, नवरत्न गढ़, बिरसा मुंडा पार्क, कैथोलिक चर्च, देवगांव बूढ़ा महादेव मंदिर, जामा मस्जिद, ट्राइबल म्यूजियम, गोबर सिल्ली, मोती मस्जिद, घोर लता गुफा एवं साकिया बाकी मसरिया डैम जैसे फेमस पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं। इसके साथ ही आप यहां की प्राकृतिक सुंदरता से भरे मनोरम दृश्य का भी आनंद ले सकते हैं।
परिवहन
अब अगर आप भी इस जगह घूमने का मन बना रहे हैं तो आप यहां हवाई, सड़क या रेल तीनों मार्गों से आ सकते हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा रांची में स्थित है जो गुमला से 92 किलोमीटर दूर है। रेल सेवा के लिए आप पोकला और लोहरदगा रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। वहीं अगर आप चाहें तो नेशनल हाईवे 43 की मदद से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
तो दोस्तों, आई होप कि यह Blog आपको अच्छा लगा होगा और कुछ नया जानने को मिला होगा