
हेलो, नमस्ते! स्वागत है आपका टेक्निकल प्रेशन चैनल के एक और वीडियो में। दोस्तों, क्या आप जानते हैं उड़ीसा के उत्तर-पश्चिम हिस्से में स्थित झारसुगुड़ा शहर को प्रदेश का पावर हाउस कहा जाता है? यहां बहुमूल्यवान खनिज संपदा का भंडार है, साथ ही औद्योगिक केंद्र और पर्यटन भी इसकी एक अलग पहचान है। तो आइए, आज के इस वीडियो में हम आपको झारसुगुड़ा शहर की जरूरी और रोचक जानकारियां बताते हैं।
झारसुगुड़ा: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
दोस्तों, झारसुगुड़ा का इतिहास अधिक प्राचीन नहीं है। यह पहले संबलपुर जिले का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन साल 1994 में इसे प्रशासनिक सुविधाओं के चलते एक अलग जिले के रूप में गठित किया गया। ब्रिटिश काल में भी अपने प्राकृतिक संसाधनों के चलते अंग्रेजों को यह काफी पसंद थी। इस इलाके का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। कहा जाता है कि महाभारत के पांडवों ने यहां अपने अज्ञातवास का कुछ समय बिताया था।
झारसुगुड़ा: जनसांख्यिकी और संस्कृति
वर्तमान समय में यहां की डेमोग्राफी देखें तो इसका क्षेत्रफल 70.47 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं इसकी अनुमानित जनसंख्या 1 लाख 35 हजार है। बता दें कि यह इलाका एक आदिवासी प्रमुख क्षेत्र है और यहां मुख्य रूप से सब्र, मुंडा और संथाल जनजातियां रहती हैं, जिसके चलते इनकी अलग संस्कृति की खास झलक भी यहां देखने को मिलती है। वहीं यहां के ज्यादातर लोग संबलपुरी और उड़िया भाषा के साथ ही कुरुख और हिंदी भाषा भी बोलते हैं। अपनी भाषा और संस्कृति के कारण झारसुगुड़ा को अक्सर छोटा भारत भी कहा जाता है।
इस शहर के साक्षरता दर की बात करें तो यहां 83.92% लोग साक्षर हैं। वहीं यहां का लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 953 महिलाओं का है। इस शहर का वाहन पंजीकरण कोड OD 23 है जो आपको यहां की गाड़ियों की नंबर प्लेट पर आसानी से दिख जाएगा।
झारसुगुड़ा: अर्थव्यवस्था और उद्योग
झारसुगुड़ा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कोलफील्ड्स, वन और कृषि पर आधारित है। चावल, गन्ना और तिलहन यहां की महत्वपूर्ण फसलें हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में समृद्ध खनिज भंडार हैं जिनमें कोयला, बॉक्साइट, मैंगनीज और चूना पत्थर के भंडार बहुतायत में पाए जाते हैं। यहां कई प्रसिद्ध औद्योगिक इकाइयां भी हैं जो इस शहर की अर्थव्यवस्था के विकास में बड़ा योगदान करती हैं। यहां वेदांता, भूषण और आदित्य बिरला जैसे औद्योगिक संस्थान हैं। वहीं, झारसुगुड़ा में बहुत बड़ा बिजली उत्पादन केंद्र भी है, इसलिए यह शहर अब आधुनिक शहर की तर्ज पर भी विकसित हो रहा है।
झारसुगुड़ा: पर्यटन और आकर्षण
पर्यटन के दृष्टिकोण से भी झारसुगुड़ा टूरिस्ट के लिए एक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन है और उड़ीसा के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल। यहां की गुलाबगढ़ पहाड़ियां, जंगल और झरने सबका दिल जीत लेते हैं। यहां आपको कई जंगली जानवर, दवा के पौधे, कॉफी और चाय के पौधे और इल्यूजन को करना के पौधे आदि देखने को मिल जाएंगे। यहां का प्रमुख आकर्षण कोली घुंघर जलप्रपात है जो यहां आने वाले पर्यटकों की खास पसंद है।
इसके अलावा आप यहां अलाव गर्ग पहाड़ी किला भी देख सकते हैं जो इस शहर में पाया जाने वाला सबसे आश्चर्यजनक स्मारक है। वैसे तो यह अब खंडहर बन चुका है, लेकिन फिर भी आपका दिल जीतने में जरूर सफल होगा। धार्मिक स्थलों की बात करें तो आप यहां चांदी मंदिर, पहाड़ी मंदिर और जागेश्वर मंदिर घूम सकते हैं। इसके अलावा यहां विक्रम खोल गुफा पेंटिंग भी बहुत फेमस है जो इस जगह को और भी प्रसिद्ध बनाती है।
झारसुगुड़ा: कला, संस्कृति और व्यंजन
झारसुगुड़ा कला और संस्कृति का शहर भी कहा जाता है। यहां के कई नृत्य और पारंपरिक पोशाक पूरे राज्य में प्रसिद्ध हैं। यहां स्थानीय स्तर पर कई कलाएं भी देखने को मिलती हैं जो आदिवासी और जनजातीय संस्कृति से प्रेरित हैं। यहां के जायके में आपको उड़िया और अन्य राज्यों का मिलाजुला स्वाद चखने को मिलता है।
झारसुगुड़ा: परिवहन
इस शहर की कनेक्टिविटी की ओर देखें तो यह औपनिवेशिक काल के बाद से शहर में अपेक्षाकृत विकसित परिवहन नेटवर्क रहा है। यहां वीर सुरेंद्र साईं हवाई अड्डा है जहां आप आसानी से हवाई मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं। तो वहीं झारसुगुड़ा रेलवे स्टेशन भी एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है जो टाटानगर-बिलासपुर खंड के हावड़ा-नागपुर-मुंबई लाइन और झारसुगुड़ा-विजयनगरम लाइन के अंतर्गत आता है। सड़क मार्ग को देखें तो झारसुगुड़ा राज्य राजमार्ग 10 (जो अबू एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा है) और राष्ट्रीय राजमार्ग 49 द्वारा राज्यों के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है।