
नमस्कार दोस्तों! क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसा जिला दुर्ग एक प्रमुख औद्योगिक और शिक्षा का केंद्र है? यह जिला अपने भिलाई स्टील प्लांट के लिए देश-विदेश में पहचान रखता है। इस जिले की कई और खास बातें भी हैं जो इसे भारत के मशहूर जिलों में शामिल करती हैं। अगर आप भी इन खासियत के बारे में जानना चाहते हैं तो इस blog को अंत तक जरूर देखें।
दुर्ग: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्थापना
दोस्तों, दुर्ग जिले का इतिहास अपने आप में ही बहुत बड़ा और गौरवशाली रहा है। दुर्ग ने अपने इतिहास में गौरवशाली हिंदू राजाओं से लेकर शक्तिशाली मराठा शासकों तक और अंत में ब्रिटिश राज के शासकों तक शासन को देखा है। लेकिन दुर्ग का संस्थापक शिवदेव को माना जाता है,
जिन्होंने शिवनाथ नदी के किनारे स्थित दुर्गा नामक स्थान को अपनी राजधानी बनाया और साथ ही एक किले का भी निर्माण किया, जिसके बाद वहां बह रही सिवनाथ नदी का नाम अपने नाम से ही शिवनाथ नदी रख लिया और दुर्गा नामक स्थान को शिव दुर्ग कहा, जिसे समय के साथ-साथ स्थानीय भाषा में दुर्ग कहा जाने लगा, जिसके बाद अंग्रेजों ने इसे दुर्ग में परिवर्तित कर दिया।
जिले के गठन की बात करें तो यह जिला सन 1906 से पहले रायपुर का एक उपजिला हुआ करता था। 1 जनवरी सन 1906 में रायपुर एवं बिलासपुर जिले के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर इस जिले का निर्माण किया गया। उस समय इस जिले में आज का जिला राजनांदगांव, कवर्धा, बालोद और बेमेतरा तहसील हुआ करते थे।
दुर्ग: भूगोल, जनसांख्यिकी और भाषा
वर्तमान में यह जिला 2778 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है, जहां 20 लाख से भी ज्यादा लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं। जिनमें से 83% लोग पढ़े-लिखे वर्ग में आते हैं, जो पूरे राज्य में अपने जिले का स्थान प्रथम श्रेणी में रखा है। साथ ही इन आबादियों में 1000 पुरुषों पर 988 महिलाओं की लिंगानुपात पाई जाती है।
यहां सबसे ज्यादा आबादी छत्तीसगढ़ी भाषा को बोलना पसंद करते हैं, लेकिन हिंदी और अन्य भाषाओं की भी यहां खूब चलन है। इस जिले और संभाग का प्रशासनिक मुख्यालय दुर्ग में ही स्थित है। जिले में छह तहसील, तीन विकास खंड, चार नगर पंचायत, चार नगर निगम, तीन नगर पालिका, 304 ग्राम पंचायतें, 389 गांव और छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
दुर्ग: अर्थव्यवस्था और उद्योग
दुर्ग को छत्तीसगढ़ का आर्थिक केंद्र भी कहा जाता है। यहां पारंपरिक तौर पर कृषि जिले की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है। हालांकि, अब यहां औद्योगिक गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं, जिसने बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार दे रखा है। यहां भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ ना सिर्फ जिले बल्कि संपूर्ण प्रदेश का चौतरफा औद्योगिक विकास हुआ है। यहां स्टील की हैवी रॉड्स और प्लेट्स के अलावा रेल पटरियों का भी निर्माण होता है। दुर्ग जिले में कई सीमेंट फैक्ट्रियां और राइस मिलों के साथ ही कई छोटे, बड़े और मध्यम उद्योग हैं जो इस जिले को प्रदेश का आर्थिक हब बनाते हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं
दुर्ग में राज्य का सबसे पहला चिड़ियाघर मैत्री बाग है, जिसे सोवियत संघ और भारत की दोस्ती के खातिर बनवाया गया था। साथ ही यहां राज्य का पहला आईआईटी तकनीकी विश्वविद्यालय, पशु चिकित्सा महाविद्यालय और नेचुरोपैथी हॉस्पिटल स्थापित है, जो इस जिले को छत्तीसगढ़ में और खास बनाती है।
धार्मिक और पुरातात्विक स्थल
दुर्ग जिले में स्थित चंडी माता मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को जगतपाल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर 1000 साल पुरानी मानी जाती है। यहां तारी घाट भी स्थित है, जो एक प्राचीन वाणिज्यिक केंद्र और पुरातात्विक स्थल है। इसके साथ ही देव बलोदा जहां कलचुरी काल के भगवान शिव को समर्पित एक शिव मंदिर स्थित है। इसके जलाशय की कहानी रोचक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है।
सांस्कृतिक विरासत और त्यौहार
दुर्ग की सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध मानी जाती है। यहां 35 से ज्यादा तरह की जनजातियां रहती हैं, जिससे परंपरागत नृत्य, संगीत और नाटक में काफी विविधता देखी जाती है। यहां छत्तीसगढ़ के खानपान से लेकर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहारों तक काफी मशहूर है। यहां खासकर दुर्गा पूजा को एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
पर्यटन स्थल
इसजिला छत्तीसगढ़ के एक तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। यहां घूमने लायक कई जगह हैं। श्री पार्श्व तीर्थ, बूढ़ा तालाब शिव मंदिर, धमधा गंगा मैया मंदिर, देव बलोदा शिव मंदिर, ओना काना मंदिर, केवलिया धाम और चंडी मंदिर यहां के कुछ चुनिंदा तीर्थ स्थल हैं। इसके अलावा आप दुर्ग के आसपास स्थित हिंदी भवन, पाटन प्राचीन किला, तांदुला डैम, सूर्या मॉल और मैत्री बाग जू घूम सकते हैं।
परिवहन
अब अगर आप यहां आने का प्लान बना लिया है तो आप यहां रेल, सड़क या हवाई किसी भी मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा रायपुर में है जो इसके मुख्यालय के करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जिला सड़कों के जरिए भी अन्य राज्यों और शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 और नेशनल हाईवे 53 की सहायता से आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप अगर भारतीय रेल से सफर कर रहे हैं तो आप दुर्ग रेलवे स्टेशन की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। छत्तीसगढ़ का दुर्ग देखने में जितना सुंदर है इसका अनुभव भी उतना ही खास है।