
यह है पुरी, जिसे जगन्नाथ पुरी के नाम से भी बुलाया जाता है। यह भारत के पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है। समुद्री तटों, रेत कला, मंदिरों, सांस्कृतिक गतिविधियों, पारंपरिक भोजन और साल भर मनाए जाने वाले अपने 24 अलग-अलग त्योहारों के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। पुरी, जिसे श्री क्षेत्र और पुरुषोत्तम क्षेत्र के नाम से भी बुलाया जाता है, यह हिंदू धर्म के चार पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जिन्हें चारधाम बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम के रूप में पहचाना जाता है। यह भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की नगरी पुरी है, जो सांस्कृतिक तौर से बेहद समृद्ध है।
एक आध्यात्मिक और आधुनिक संगम
इसे भारत में सबसे आधुनिक आध्यात्मिक गेटवे में से एक माना जाता है। यह शहर आधुनिक जीवन शैली के साथ ही प्राचीन विरासत को भी संजोए हुए है। पुरी उड़ीसा में सबसे तेजी से विकसित हो रहा एक प्राचीन नगर है, जो पुरी जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह जिला चार उपविभाग, 15 तहसील और 15 ब्लॉकों में बटा हुआ है और इसमें 1722 राजस्व गांव शामिल हैं।
जिले के क्षेत्रफल की बात करें तो यह कुल 3479 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। साथ ही पुरी शहर 16 वर्ग किलोमीटर के एक छोटे से भूभाग को कवर करता है, जहां मौजूदा समय में 2,81,000 लोगों की आबादी रहती है। वहीं जिले में 19,25,000 लोगों की आबादी रहती है।
जनसांख्यिकी और भाषा
लिंग अनुपात और साक्षरता दर की बात करें तो जिले का लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 963 महिलाओं का है। वहीं साक्षरता दर 86% के आसपास है। यहां के ज्यादातर लोग उड़िया भाषा में ही बात करते हैं, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी भी बोल और समझ सकते हैं। इस जिले की 15% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करती है, तो वहीं 85% जनसंख्या गांव में रहकर अपना जीवन यापन कर रही है।
अर्थव्यवस्था और आजीविका
पुरी जिले की धरती जीवन जीने के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है, जहां के लोग कृषि से जुड़ी फसलों का उत्पादन करते हैं, लेकिन यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटनों पर आधारित है। इस जिले का एक बहुत बड़ा तबका रोजी-रोटी के लिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर रहता है। होटल, ट्रैवल इंडस्ट्री, टैक्सी, ऑटो रिक्शा, व्यापारिक दुकान और पारंपरिक हस्तशिल्प यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है।
संस्कृति, त्यौहार और व्यंजन
पुरी समुद्री तटों, ऐतिहासिक स्मारकों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध ही नहीं, बल्कि अपनी ओडिया संस्कृति, संगीत, नृत्य, त्यौहार और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां का सबसे बड़ा त्यौहार रथ यात्रा है, जिसे आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष की द्वितीय तिथि में मनाया जाता है। इस रथ यात्रा में लगभग 10 लाख लोग भाग लेने के लिए पुरी आते हैं।
इसके अलावा यहां शाही जटा, चंदन यात्रा, कोणार्क महोत्सव, गुंडीचा उत्सव, पुरी बीच फेस्टिवल, झामू यात्रा, राजा महोत्सव, नागा नृत्य, मेधा नृत्य, गोटीपुआ नृत्य और महारी नृत्य भी काफी लोकप्रिय है। साथ ही आप यहां के खिचड़ी, मालपुआ, दालमा, अबधा, चुंगड़ी मलाई, छेनापोड़ा, संतुला और रसबाली का स्वाद भी चख सकते हैं।
पर्यटन स्थल
अब दोस्तों, पुरी में घूमने फिरने की बात करें तो यह जिला कई ऐतिहासिक मंदिरों, आश्रमों, अभ्यारण्यों और समुद्री बीचों का घर है, जो इसे उड़ीसा राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र बनाता है। यहां का मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु का स्वरूप पवित्र तीर्थ स्थल जगन्नाथ मंदिर है, जहां भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र भी विराजमान हैं।
इसके साथ ही विश्व धरोहर कोणार्क सूर्य मंदिर, काकटपुर मां मंगला, सत्यवादी सखी गोपाल मंदिर, ब्रह्मगिरी, अलारनाथ मंदिर, पिपीली, स्वप्नेश्वर महादेव, मार्कांडेश्वर मंदिर, लोकनाथ मंदिर, गोवर्धन मठ, गुंडीचा मंदिर, बेदी हनुमान मंदिर, वाराही प्राचीन मंदिर, विश्वनाथ हिल, श्री गौर विहार आश्रम, बलिहार चंडी, जहानिया पीरा दरगाह, कुरुमा बुद्ध विहार और मौसी मां मंदिर यहां के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
आप इन धार्मिक स्थलों के अलावा यहां के झीलों और समुद्री तटों की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। तो बालूखंड अभ्यारण्य, चिल्का झील, डियरिंग बड़ी, कोणार्क समुद्र तट, स्वर्गद्वार किनारा, पुरी बीच, पिपीली हस्तशिल्प, रघुराजपुर, वंडर वर्ल्ड वाटर पार्क और गोल्डन बीच आपकी रोमांचक यात्रा को और भी यादगार बनाने के लिए एक खास स्थान है। इसके साथ ही आप भुवनेश्वर भी जा सकते हैं, जहां कई सारे प्राचीन हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिर हैं।
परिवहन
अब अगर आप भी यह शहर आने का मन बना रहे हैं, तो आपको बता दें कि पुरी पहुंचना बेहद आसान है। यहां आप रेल, हवाई या सड़क तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन पुरी रेलवे स्टेशन है, जो सभी यात्री ट्रेनों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। वहीं यहां का निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है, जो पुरी से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा सड़क मार्ग में आप NH 316 के जरिए भी पुरी आसानी से पहुंच सकते हैं।
अगर आप सड़क मार्ग से पुरी आते हैं और आपको ज्यादातर गाड़ियों के नंबर प्लेट पर OD 13 लिखा दिख जाए, तो समझ जाइए कि आप श्री जगन्नाथ जी की पावन धरती पुरी में प्रवेश कर चुके हैं।