
इंद्रावती नदी के आंचल में बसा एक बेहद ही खास जिला है। यहां का सबसे बड़ा शहर जगदलपुर है, जो कि जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और यह राज्य की राजधानी रायपुर से 302 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जिले की सीमाएं दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव और उड़ीसा के जिलों से लगती हैं। इस जिले के अंतर्गत सात तहसीलें, सात ब्लॉक, 433 ग्राम पंचायत, 611 गांव, तीन विधानसभा क्षेत्र और एक लोकसभा क्षेत्र आते हैं।
बस्तर: एक सांस्कृतिक और भौगोलिक परिचय
बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध जिलों में से एक है और यहां के लोग दुर्लभ कलाकृति, उदार संस्कृति एवं सहज सरल स्वभाव के धनी हैं। यहां की आबादी में ज्यादातर लोग गांव में रहना पसंद करते हैं, जिनके द्वारा यहां हल्बी, गोंडी, भातरी, धुरवा, छत्तीसगढ़ी, उड़िया और हिंदी भाषा बोली जाती है। सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासियों के रंग में रंगा बस्तर अपने अंदर कई खूबियां समेटे हुए है।
बस्तर का विशाल विस्तार और जनसांख्यिकी
6597 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ बस्तर आज छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में आठवां सबसे बड़ा जिला कहलाता है। यहां वर्तमान में 10 लाख लोगों की आबादी रहती है, जिनमें से 70% आबादी आदिवासियों की है जिन्होंने आज बस्तर को स्वर्ग जैसा सजा कर रखा है। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 107 महिलाओं का लिंग अनुपात पाया जाता है, जो राज्य में सराहनीय है। इसके अलावा यहां 55% लोग ही शिक्षित हैं।
बस्तर का इतिहास
बस्तर जिले के इतिहास को देखें तो यह जिला कभी 1948 तक बस्तर रियासत के रूप में जाना जाता था। माना जाता है कि पहले बस्तर चक्र कोट और भ्रमण कोट के नाम से मशहूर था। उस समय यह इलाका कई शक्तिशाली राजवंशों के अंतर्गत रह चुका है, जिसे आज़ादी के बाद प्रशासनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 1948 ईस्वी को बस्तर संभाग के वर्तमान सभी जिले के क्षेत्र को मिलाकर इस जिले का गठन किया गया था।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर
आज यह जिला अपने घने जंगलों, ऊंची ऊंची पहाड़ियों, खूबसूरत झरनों, प्राचीन गुफाओं, जंगली जानवरों और यहां की पहचान आदिवासी जनजातियों की संस्कृति के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां आदिवासी और गैर आदिवासी पारंपरिक नृत्य सहित विभिन्न प्रकार की कला देखने को मिलती है। यहां के लोगों का जीवन संगीत और पारंपरिक नृत्यों से जुड़ा है। ककड़ नृत्य बस्तर का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य है। इसके अलावा यहां के डंडारी, गौर, पंथी, करमा आदि नृत्य भी काफी पसंद किए जाते हैं।
बस्तर का अनूठा दशहरा
यहां के सबसे बड़े त्योहार में बस्तर दशहरा है जो परंपराओं और शक्ति उपासना के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह दशहरा पूरे 75 दिनों तक चलता है, जो पूरे विश्व का एक अनोखा दशहरा है क्योंकि ना तो यहां पर रावण का पुतला दहन होता है और ना ही राम लीला का मंचन होता है। इस दिन यहां पारंपरिक रस्म और अनूठे अंदाज में शक्ति की उपासना होती है, जिसे देखने देश दुनिया से लोग आते हैं। और इसके साथ ही यहां नवाखाई, दियारी जात्रा, छेरछेरा और तीज त्यौहार भी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
अर्थव्यवस्था और उद्योग
यहां के लोगों की आजीविका खेतीबाड़ी, हस्तशिल्प और वन उत्पादों से चलती है। साथ ही यहां कई छोटे-बड़े उद्योग भी हैं जो लोगों को रोजगार प्रदान करा रहे हैं। यहां के नगरनार में एनएमडीसी स्टील प्लांट स्थापित है जो बस्तर जिले की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान देता है। वर्तमान समय में जिले का जगदलपुर शहर औद्योगिक नगरी के रूप में उभर रहा है। यहां छोटे-बड़े कई प्लांट स्थापित हो रहे हैं जो आने वाले समय में बस्तर क्षेत्र के लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करेंगे। यहां एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी भी स्थित है।
बस्तर के प्रमुख आकर्षण
इसके अलावा छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा तालाब दलपत सागर है, जो जिले के जगदलपुर में स्थित शहर की शान और शोभा है। यहां विश्व विख्यात भारत का सबसे बड़ा और चौड़ा चित्रकूट जलप्रपात है, जिसे भारत का नियाग्रा कहते हैं। तो वहीं छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात तीरथगढ़ जलप्रपात भी है, जो राज्य में सबसे ज्यादा टूरिस्ट द्वारा देखे जाने वाला पिकनिक स्पॉट है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान है।
तो वहीं यहां विनीता घाटी भी है, जिसे बस्तर का कश्मीर कहते हैं। यहां छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा जलप्रपात भी है जहां सबसे ज्यादा हरे रंग के सांप देखने को मिलते हैं और यह जगह विजा काशी और चिकन जलप्रपात के नाम से मशहूर है। यहां दरभा घाटी भी है, जो भारत के सबसे खतरनाक घाटियों में से एक का हिस्सा है, जो अपने अंदर कई ऐतिहासिक घटनाओं को समेटे हुए है।
पर्यटन और यात्रा सुविधाएँ
दोस्तों, बस्तर जिला प्राकृतिक सुंदरता की गोद में बसा दंडकारण्य क्षेत्र का सबसे सुंदर और प्रसिद्ध स्थान है। यहां आपको आदिवासी जीवन शैली, कला संस्कृति और प्रकृति की दी हुई खूबसूरत पहाड़ियां, गुफा, मंदिर, झरने और जीव जंतुओं को देख सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि यहां कैसे पहुंचे? आपको बता दें कि यहां पहुंचना बेहद आसान है। आप यहां रेल, हवाई और सड़क तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं।
यहां का नजदीकी हवाई अड्डा जगदलपुर का मां दंतेश्वरी हवाई अड्डा और रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है, जिसके माध्यम से आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो यहां जगदलपुर रेलवे स्टेशन सभी यात्रियों के लिए उपयुक्त है। अगर आप सड़क मार्ग से यहां आना चाहते हैं तो आपको नेशनल हाईवे 30 का सहारा लेना पड़ेगा, जो सीधे जगदलपुर से जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचते ही ज्यादातर CG 17 नंबर प्लेट वाली गाड़ियां दिखेंगी जो आपको बस्तर पहुंचाने का एहसास दिलाएगा।