
नमस्कार दोस्तों! आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के बारे में। यह शहर यूं तो अपने मंदिरों और समुद्र तटों के लिए जानी जाती है, लेकिन इसका इतिहास और वर्तमान भी बेहद रोचक है। भुवनेश्वर अपनी ऐतिहासिक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत संजोए आज के दौर के साथ खूबसूरती से कदम से कदम मिलाकर सहजता से चलता है। यह शहर नए पुराने एहसासों के साथ अपने पर्यटकों को एक बेहद सुंदर अनुभव देता है। तो दोस्तों, आइए आपको आज के इस ब्लॉग में भुवनेश्वर की सैर करवाते हैं और इस मंदिरों के शहर के बारे में रोचक जानकारियों से आपको रूबरू करवाते हैं। शुरू करते हैं आज का यह ब्लॉग
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भुवनेश्वर: इतिहास और विकास
दोस्तों, भुवनेश्वर का इतिहास दो चरणों में देखा जा सकता है: प्राचीन भुवनेश्वर और आधुनिक भुवनेश्वर। जहां प्राचीन शहर का इतिहास कलिंग साम्राज्य से 3000 साल से भी ज्यादा पुराना है, वहीं आधुनिक शहर 1948 में अस्तित्व में आया। इसकी आधारशिला खुद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 अप्रैल 1948 को रखी थी। इस शहर का मास्टर प्लान जर्मन वास्तुकार ऑटो कॉलेनिक्सबर्गर ने तैयार किया था। जमशेदपुर और चंडीगढ़ के साथ यह आधुनिक भारत के पहले नियोजित शहरों में से एक था। भुवनेश्वर के अस्तित्व में आने के बाद इसे कटक की जगह उड़ीसा की राजधानी बना दिया गया। मौजूदा समय में यह शहर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है।
जनसांख्यिकी और संस्कृति
भुवनेश्वर शहर की फिलहाल अनुमानित आबादी लगभग 13 लाख 21 हजार है। 2011 की जनगणना के अनुसार भुवनेश्वर की आबादी 8,38,837 थी, लेकिन यह संख्या बाद में बढ़कर 13 लाख पहुंच गई है। भुवनेश्वर का शहरी क्षेत्रफल 422 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस शहर की औसत साक्षरता दर 91.87% है, जिसमें पुरुष और महिला साक्षरता क्रमशः 94.66% और 88.73% है। लिंगानुपात देखें तो इस शहर में प्रति 1000 पुरुषों पर 890 महिलाएं हैं।
जैसा कि इसे मंदिरों का शहर कहा जाता है, इसलिए यहां हिंदू धर्म बहुसंख्यक धर्म है, जिसके 95.21% अनुयाई हैं। वहीं इस्लाम यहां का दूसरा सबसे लोकप्रिय धर्म है, जिसे लगभग 3.29% लोग मानते हैं। वहीं अन्य बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। ओडिया यहां के लोगों की मुख्य भाषा है, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी भी बोल और समझ लेते हैं।
अर्थव्यवस्था और उद्योग
भुवनेश्वर की अर्थव्यवस्था के बारे में बात करें तो यह शहर पारंपरिक रूप से हस्तशिल्प उद्योग का घर है, जिसमें चांदी के फीते का काम, एप्लिक का काम, पत्थर और लकड़ी की नक्काशी और पट्टा पेंटिंग शामिल है, जो शहर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भुवनेश्वर एक प्रशासनिक, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और पर्यटन शहर है।
शहर में पहले से ही आईआईटी, आईओएम, एनआईएफटी और सीआईएफए जैसे कई शीर्ष स्तर के विश्वविद्यालय हैं और कुछ और भी इस दिशा में अग्रसर हैं। 2014 में विश्व बैंक ने भुवनेश्वर को भारत में व्यापार करने के लिए सबसे बढ़िया जगह माना था। भुवनेश्वर राज्य और पूर्वी भारत में सबसे तेजी से बढ़ते महत्वपूर्ण व्यापारिक और वाणिज्यिक केंद्र के रूप में उभरा है।
पर्यटन और व्यंजन
पर्यटन यहां का एक प्रमुख उद्योग है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को यहां आकर्षित करता है। इससे जुड़े यहां कई बड़े-छोटे व्यवसाय और उद्योग हैं। अब शहर के पर्यटन को देखें तो यह शहर अपनी खूबसूरती और पर्यटन स्थलों के चलते देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव को समर्पित लिंगराज मंदिर है, यह कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के अलावा आप इस शहर में सैकड़ों मंदिर देख सकते हैं, जो बेहतरीन वास्तुकला को दर्शाते हैं। ब्राह्मेश्वर मंदिर, परशुरामेश्वर मंदिर और राजरानी मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
अगर आप जानवरों से प्यार करते हैं, तो यहां आपके लिए नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क है, जो करीब 990 एकड़ में फैला हुआ है। यह पार्क सफेद बाघ के लिए खासतौर पर जाना जाता है। उड़ीसा राज्य संग्रहालय, उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएं भी यहां के फेमस पर्यटन स्थलों में शामिल हैं। आप यहां आने के बाद भारत के चार धामों में से एक पुरी के जगन्नाथ मंदिर के दर्शन और बीच की सैर भी कर सकते हैं। यह शहर से सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां आपको और भी कई बीच मिलेंगे, जहां उड़िया खाने के साथ ही सी फूड का स्वाद लिया जा सकता है।
वैसे शहर में आपको कुछ अलग तरीके का दही बड़ा, आलू दम, चकुली पीठा, दालमा और छेनापोड़ा जैसे लजीज व्यंजन मिलते हैं, जिनका जायका उत्तर भारत में भी प्रसिद्ध है।
परिवहन
अब क्योंकि भुवनेश्वर में लाखों पर्यटकों का आना-जाना रहता है, इसलिए यहां पहुंचना भी बेहद आसान है। आप यहां हवाई, रेल या सड़क किसी भी माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। आपको सभी रास्ते शहर के एकदम करीब तक ले जाएंगे। सबसे पहले बात करते हैं एयरपोर्ट की, तो शहर के केंद्र से लगभग 6 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर हवाई अड्डा, जिसे बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कहा जाता है, इस ऐतिहासिक शहर को उड़ानों के नेटवर्क के जरिए देश-विदेश से जोड़ता है। अगर आप रेल मार्ग से इस शहर में आना चाहते हैं,
तो आपको बता दें कि भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर को कई भारतीय शहरों से जोड़ने वाला मुख्य रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा अगर आप सड़क मार्ग लेते हैं, तो भुवनेश्वर शहर राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों द्वारा देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शहर का आरटीओ कोड OD है, जो यहां की सभी लोकल गाड़ियों में आपको नजर आता है।