रायगढ़

रायगढ़

नमस्कार दोस्तों! क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के पूर्वी हिस्से में स्थित रायगढ़ जिले को राज्य की सांस्कृतिक नगरी क्यों कहा जाता है? यहां का कोसा रेशम और ढोकरा शिल्प विश्व भर में क्यों प्रसिद्ध है? या फिर इस जिले में एशिया की सबसे बड़ी किस धातु की कंपनी है? अगर नहीं, तो हमारा आज का यह blog अंत तक जरूर देखें।


रायगढ़: एक ऐतिहासिक परिचय

दोस्तों, रायगढ़ जिला केलो नदी के किनारे बसा छत्तीसगढ़ का शान है, जो अपने रियासतकालीन इतिहास के लिए काफी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि आजादी से पहले यह क्षेत्र कभी प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजों के शासन तले नहीं रहा। यहां हमेशा से राजाओं का राज रहा है, जो देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय संघ में सम्मिलित हो गए। इस जिले का निर्माण 1 जनवरी 1948 को ईस्टर्न स्टेट एजेंसी द्वारा किया गया था।

यह पहले मध्य प्रदेश और बाद में छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना। महाराज मदन सिंह को इसका संस्थापक माना जाता है। साथ ही रायगढ़ शहर की सबसे प्रसिद्ध दानवीर व्यक्ति करोड़ी मल को कहा जाता है जिन्होंने रायगढ़ शहर के विकास में एक बड़ा योगदान दिया था।


रायगढ़: भौगोलिक स्थिति और प्रशासन

मौजूदा समय में यह जिला बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आता है और यह कुल 5203 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं इसकी अनुमानित जनसंख्या 15,91,913 है। जिले के कुल 73.1% लोग पढ़े-लिखे वर्ग के हैं जबकि यहां का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 959 महिलाओं की है। यहां की ज्यादातर आबादी हिंदू धर्म को मानती है। रायगढ़ जिले की प्रशासनिक मुख्यालय रायगढ़ शहर में स्थित है।

जिले में कुल सात ब्लॉक, नौ तहसील, 774 ग्राम पंचायत तथा 1445 गांव हैं। यहां मुख्य तौर से हिंदी, छत्तीसगढ़ी, उड़िया और कुरुख भाषाएं प्रचलित हैं। रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ के पांच जिलों और एक राज्य उड़ीसा से अपनी सीमा साझा करती है। इस जिले में बिरहोर, गोंड, कंवर और उरांव जनजाति के लोग ज्यादातर पाए जाते हैं।


अर्थव्यवस्था और उद्योग

इस जिले की अर्थव्यवस्था पर नजर डालें तो यहां एशिया की सबसे बड़ी स्पंज आयरन की कंपनी जिंदल स्टील मौजूद है। इसके अलावा मोनेट इस्पात और कई छोटी बड़ी स्टील की अन्य कंपनियों का भी यहां के इस्पात उद्योग में काफी योगदान है। यह जिला अन्य धातुओं, कोयला, बॉक्साइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट, फ्लोराइड, क्ले आदि से भी समृद्ध है। औद्योगिक कार्यों के अलावा कृषि भी रायगढ़ की अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाती है। इस क्षेत्र में एक बड़ी जनजाति आबादी कृषि और वन उपज में लगी हुई है। कृषि आज भी रायगढ़ की अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है।


कला और संस्कृति

रायगढ़ अपने कोसा रेशम के उत्पादन और झारा जनजाति द्वारा बेहद खूबसूरत मूर्ति एवं अन्य कलाकारी किए जाने वाले ढोकरा शिल्प के लिए भी प्रसिद्ध है। रायगढ़ की संस्कृति बेहद समृद्ध है और इसलिए इसे राज्य की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। रायगढ़ घराना कथक और शास्त्रीय संगीत में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। यहां हर साल कला और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले चक्रधर समारोह का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा चक्रधर एक मशहूर तबला वादक थे और उन्होंने यहां कला और संस्कृति को खूब प्रोत्साहन दिया। यहां का गीत संगीत भी काफी लोकप्रिय है।


पर्यटन स्थल

इस जिले के पर्यटन की बात करें तो यहां खूब सारा हरा भरा जंगल, पहाड़ और गुफा मौजूद है। इसकी प्राकृतिक छटा अपने आप में अनोखी है। प्राकृतिक जल स्रोत राम झरना यहां एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसके अलावा गौरी शंकर मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है। आप यहां फेमस रायगढ़ का मोती महल भी देख सकते हैं जिसके नाम पर इस जिले का नामांकन किया जाता है। रायगढ़ जिले की सिंघनपुर गुफा, कबरा गुफा और बोतलदा की गुफा छत्तीसगढ़ के उन गुफाओं में से एक हैं जो अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है।


परिवहन

अब अगर आप भी यहां आने और घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि इस जिले की कनेक्टिविटी बेहद ही शानदार है। आप यहां रेल, हवाई या सड़क किसी भी मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। बिलासपुर हवाई अड्डा यहां से महज 135 किलोमीटर दूर है तो वहीं रायपुर एयरपोर्ट यहां सबसे पास हवाई मार्ग का स्थान है। ट्रेन के जरिए आप यहां रायगढ़ रेलवे स्टेशन से आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा सड़क के जरिए भी राष्ट्रीय राजमार्ग 153 के सहारे भी आप यहां बड़ी सुगमता से पहुंच सकते हैं।

आज के लिए इतना ही दोस्तों। जय हिंद!

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