जशपुर

जशपुर

हेलो, नमस्ते! स्वागत है आपका टेक्निकल प्रीशा चैनल में। दोस्तों, क्या आप जानते हैं छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला पहले रायगढ़ जिले का ही हिस्सा हुआ करता था, जो इसे मध्य भारत का दसवां सबसे बड़ा जिला बनाता था? लेकिन सन 1998 में इसे विभाजित कर एक नया जिला घोषित कर दिया गया। अब जशपुर छत्तीसगढ़ का एक प्रसिद्ध जिला है जिसका अधिकांश भाग जंगलों से घिरा है। यहां ज्यादातर आदिवासी समाज के लोग रहते हैं जिनकी कला संस्कृति पूरे देश में प्रसिद्ध है।

आज के इस नए blog में हम इसी जिले की कुछ रोचक, ऐतिहासिक और भौगोलिक बातें आपको बताएंगे, जो निश्चित तौर पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के साथ ही आपको इस जिले की ओर और आकर्षित करेगी। तो हमारी इस blog को अंत तक जरूर देखें।


जशपुर: भौगोलिक स्थिति और प्रशासन

दोस्तों, जशपुर छत्तीसगढ़ के उत्तर पूर्वी इलाके में बसा हुआ है, जो सरगुजा संभाग में स्थित है। यह जिला उत्तर पूर्व में झारखंड के गुमला और सिमडेगा से, दक्षिण पूर्व में उड़ीसा के सुंदरगढ़ से, दक्षिण पश्चिम में रायगढ़ से, और उत्तर व पश्चिम दिशा में सरगुजा जिले से घिरा हुआ है। यहां से बहने वाली ईब नदी के किनारे जशपुर नगर बसा हुआ है। वर्तमान में इसका कुल क्षेत्रफल 6457 वर्ग किलोमीटर है,

जिसमें से 2163 वर्ग किलोमीटर का विशाल क्षेत्र वनों से आच्छादित है। जशपुर नगर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और वर्तमान में यहां पांच सब डिवीजन, नौ तहसील, आठ ब्लॉक, 427 ग्राम पंचायतें, 766 गांव, एक नगर पालिका, चार नगर पंचायत और 13 पुलिस स्टेशन शामिल हैं।


जशपुर: जनसंख्या और संस्कृति

वहीं यहां रहने वाली आबादी की बात करें तो कुल अनुमानित जनसंख्या 10 लाख के आसपास है। इस जिले की आधी आबादी को 10 से अधिक प्रकार की जनजातियां कवर करती हैं। जशपुर जिले का लिंग अनुपात यानी प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1004 है। यह जिला एक हिंदू बहुल इलाका है। यहां हिंदुओं के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग मिलजुलकर रहते हैं और यहां प्रमुख तौर पर सादरी और कुरुख भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही यहां छत्तीसगढ़ी, उड़िया, हिंदी और भोजपुरी जैसी भाषाएं भी व्यापक रूप से बोली जाती हैं।


अर्थव्यवस्था और कृषि

अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो यहां की ज्यादातर आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती, बागवानी, पशुपालन और वन उत्पादों पर निर्भर है। वैसे जशपुर में बॉक्साइट, कोयला, अभ्रक, पत्थर आदि जैसे कई प्राकृतिक संसाधनों का खजाना है, जो छोटे और मझोले उद्योगों और व्यापार का जरिया भी है। यहां कई तरह के वाणिज्यिक केंद्र भी हैं जो लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। जशपुर जिला अपने टमाटर उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां के लुड़क को टमाटर की राजधानी कहा जाता है क्योंकि यहीं पर राज्य का सबसे ज्यादा टमाटर उत्पादन किया जाता है।


त्यौहार और कला संस्कृति

जशपुर जिला एक शांतिप्रिय इलाका है। यहां की कला और संस्कृति में एक प्राचीन परंपरा देखने को मिलती है। जशपुर में मनाए जाने वाले त्योहारों में सबसे बड़ा त्यौहार यहां का दशहरा है जो नौ दिनों तक चलता है। इसके साथ ही रक्षाबंधन, क्रिसमस, सरहुल पर्व और जशपुर महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, जिसमें गाने बजाने के साथ ही आदिवासी लोक नृत्य की झलक देखने को मिलती है। यहां पर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा कैथोलिक चर्च स्थित है जो ईसाइयों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थान है।


प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थल

मुस्कुराइए कि आप जशपुर जिले में हैं, क्योंकि जशपुर को प्रकृति ने बहुत ही सुंदर ढंग से नवाजा है, जिसके कारण यहां कई सुंदर पहाड़ियां, वाटरफॉल, हिल स्टेशन और प्राकृतिक सुंदरता की गोद में पल रहे जीव जंतु देखने को मिल जाते हैं। यहां छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जलप्रपात मकरभंजन प्रपात है, तो वहीं प्रकृति की गोद में बसा बादल खोल अभ्यारण्य भी है जो छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा अभ्यारण्य है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की दूसरी फूलों की घाटी इसी जिले में स्थित है जो लोरो घाटी के नाम से मशहूर है।

यहां भारत की सबसे प्रसिद्ध गुफाओं में से एक कैलाश गुफा भी है। यहां भगवान शिव को समर्पित एक शिवलिंग और गहरा गुरु का आश्रम है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ का नागलोक कहा जाने वाला तपकरा भी स्थित है। यहां अलग-अलग प्रकार के नाग सांपों का संरक्षण किया जाता है। यहां देश देखा पहाड़ भी है जो जशपुर नगर के प्राकृतिक सुंदरता के दृश्य को दर्शाता है।


परिवहन और यात्रा सुविधाएँ

अब अगर आप भी जशपुर जिला भ्रमण करने के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें जशपुर केवल सड़क मार्ग से ही अच्छी तरह कनेक्टेड है। यहां रायपुर और जशपुर के बीच उड़ान के लिए कोई सीधी कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। रांची विमान क्षेत्र यहां का नजदीकी एयरपोर्ट है जो जशपुर से करीब 147 किलोमीटर की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन की बात करें तो रायगढ़ यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है।

यहां पहुंचने का सबसे आसान मार्ग सड़क है। राष्ट्रीय राजमार्ग 43 जशपुर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित बसें चलती रहती हैं। यहां का आरटीओ कोड CG 14 है जो आपको स्थानीय गाड़ियों पर लिखा दिख जाएगा।


तो दोस्तों, आज के लिए इतना ही। फिर मिलेंगे नेक्स्ट blog में। तब तक के लिए जय हिंद, जय भारत।

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